पाठशाला भीतर और बाहर (Paathshaala Bhitar Aur Bahar)

June, 2021

2021 अप्रैल में फिर से देश में तालाबन्दी होगी, ऐसी कल्पना नहीं थी। मार्च में लगने लगा था कि धीरे–धीरे स्कूल भी खुल पाएँगे, परन्तु दूसरी लहर के कारण पुनः लॉकडाउन हुआ और आगेका समय फिर सेपूर्णतः अनिश्चित हो गया। बीतेसवा साल के लम्बे कोरोना काल ने स्वास्थ्य, रोज़गार, आजीविका और शिक्षा जैसेपहलुओं को गहनता सेप्रभावित किया। इस पूरेदौर में स्कूल बन्द ही रहे। बच्चे मानो अपनेघरों मेंलगभग बन्द सेहो गए। स्कूल बन्द हैंऔर दोस्तों सेमुलाक़ात एवं खेलना भी बन्द है। उनकी आज़ादी पर तो पूरा अंकुश हैही, पर इसके सा...read more

पाठशाला भीतर और बाहर (Paathshaala Bhitar Aur Bahar)

December, 2020

पाठशाला के इस अंक का ‘ संवाद ‘ महामारी के इस दौर में बच्चों की पढाई – लिखाई के वैकल्पिक प्रयासों की चर्चा “ महामारी के दौर में शिक्षा , स्कूल और बच्चे “ , पर आयोजित था I संवाद में जमीनी स्तर पर इन प्रयासों में जुटे शासकीय शिक्षकों व्स रकारों के साथ मिलकर काम करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं के साथियों ने अपने अनुभव साझा किये I उन्होंने बताया कि इस दौर में बच्चों से जुड़े रहने , उनको सीखने-सिखाने से जोड़े रखने के लिए किस-किस तरह के प्रयास उनके द्वारा किये गए , कौन से प्रयास उन्हें बेहतर लगे और क्यों...read more

पाठशाला भीतर और बाहर (Paathshaala Bhitar Aur Bahar)

February, 2020

पाठशाला भीतर और बाहर का चौथा अंक आपके हाथ में है। इसमें कुल पन्द्रह लेख हैं जिन्ह आठ स्तम्भों में पिरोया गया है।

परिप्रेक्ष्य स्तम्भ में तीन लेख हैं। सी एन सुब्रह्मण्यम का लेख देशज शिक्षा : बदलती छवियाँ भारतीय चित्र –शिल्प कला में शिक्षण से सम्बन्धि त चित्रों की ख़ोज यात्रा का तीसरा पड़ाव है। पहले दो लेख शिक्षण : कुछ छवियाँ और आचार्य से गुरु, उस्ताद से पीर क्रमशः पाठशाला के दूसरे व तीसरे अंक में प्रकाशित हुए हैं। देशज शिक्षा : बदलती छवियाँ लेख में भी लेखक ने शिक्षा से सम्बन्धि त कलाकृतिय...read more

पाठशाला भीतर और बाहर (Paathshaala Bhitar Aur Bahar)

August, 2019

पाठशाला भीत र बाहर का पहला अंक गए साल बारिश के ऐसे ही मौसम में छपकर आया था और ज्ञान परम्प रा के साथ कदमताल का यह सि लसि ला जारी है। शो ध पत्रिका के प्रस्तुत अंक को अन्ति म रूप देने के इस मसरूफ़ वक्त में बीच–बीच में बारिश ने कहीं मौसम को खुशनुमा बनाया है तो कहीं बाढ़ और तबाही का सि लसि ला पैदा किय ा। इस सबके बीच नए संकल्पों के साथ पत्रिका का यह ती सरा अंक आपके सामने है। यह सुखद है कि पि छले अंकों की तरह इसमें भी बहुत सारे नए लेखकों ने आमद दी है, जोकि इस प्रकाशन का एक बड़ा मक़सद है।

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पाठशाला भीतर और बाहर (Paathshaala Bhitar Aur Bahar)

february, 2019

पाठशाला भीतर और बाहर का द ूसरा अंक आपके सामने है। हमारे लि ए सबसे महत्त्वप ूर्ण प हलू यह है कि इस अंक के लि ए और कुछ नए लेखक मि ले। इनमें से बहुत से नए शोधकर्ता हैं और कई शिक्ष क भी हैं। हि न्दी व अन्य भारतीय भाषाओं में इस त रह के प्रयास न सिर्फ़ नए अनुभवों व उनके वि श्ले षण को सामने लाते हैं वरन् स् कूलों में व अन्य स्थलों प र कार्य करने वालों को अपने कार्य प र मनन करने व उस प र अन्य लोगों की टिप्प णी व प्रतिक्रिया जानने का मंच भी प्रदान करते हैं। भारतीय भाषाओं में लि ख प ाने की स्वा भावि कता...read more

पाठशाला भीतर और बाहर (Paathshaala Bhitar Aur Bahar)

July, 2018

.....शिक्षा को लेकर हो रहे सोच-विचार में ज्यादा से ज्यादा लोग.....सब के लिए शिक्षा पर हो रही बहस में ज्यादा भागीदारी.....स्कूलों व् कक्षाओं में छात्रों व् शिक्षकों के आपसी व्यवहार व् शिक्षण के तरीकों में बदलाव.....पत्रिका का उद्देश्य जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे लोगों......क्या शिक्षक एक पेशेवर है?.....क्या एक अच्छी कक्षा , गणित की सफल कक्षा भी कही.....आखिर संवाद कैसे शुरू.....